लेख : आरव शुक्ला: 25 Years of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ नाम सुनते ही पहले लोगों को लगता था यह पिछड़े वर्ग का एक नक्सल प्रभावित राज्य है, जहां सुख-सुविधाओं की कमी है एवं ज़्यादा कुछ ख़ास नहीं है। किन्तु पिछले 25 वर्षों में हर वर्ष छत्तीसगढ़ दुनिया वालों के इस विचार को हरा कर अपनी भूमिका में निखर कर आया है, और निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।
आज छत्तीसगढ़ पूरे विश्व भर में एक ऊर्जावान और निखरते हुए विकसित राज्य के रूप में स्थान बना चुका है, और बिलकुल ही सफलता के मार्ग में अग्रसर किसी युवा की तरह छत्तीसगढ़ ने भी अब अपने 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं। आइए, सन 2000 के नवनिर्मित राज्य से छत्तीसगढ़ के अब तक के सफर में एक नज़र डालते हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना 1 नवंबर 2000 को हुई। माननीय अटल विहारी वाजपाई जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। छत्तीसगढ़ राज्य 135,194 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। यह राज्य भौगोलिक तौर पर 17’-46‘ उत्तरी अक्षांश से 24‘-5‘ उत्तरी अक्षांश तथा 80’-15’ पूर्वी देशांतर से 84’-24’ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। छत्तीसगढ़ के उत्तर और दक्षिण के कुछ भाग पर्वतीय तथा पाट क्षेत्र हैं। छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर है, जो कि मुख्यतः व्यापार, अर्थव्यवस्था और प्रशासन का केंद्र है। राज्य में मूल रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा प्रचलित है। छत्तीसगढ़ “धान का कटोरा” (अर्थ – चावल का कटोरा) के नाम से भी प्रसिद्ध है।
छत्तीसगढ़ विद्युत् तथा स्टील के उत्पादन की दृष्टि से भारत का महत्वपूर्ण केंद्र है। छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाएं सात राज्यों — मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, झारखंड और उत्तर प्रदेश — को छूती हैं। राज्य का 44% क्षेत्र वनों से आच्छादित है। छत्तीसगढ़ में बहने वाली प्रमुख नदियों में महानदी, इंद्रावती, हसदेव, शिवनाथ, अरपा, मांड, सोंढूर, कन्हर, पैरी, खारून आदि शामिल हैं।
25 Years of Chhattisgarh : जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 25,545,198 है एवं जनजातीय जनसंख्या — अनुसूचित जनजाति: 78,22,902 (30.60 प्रतिशत) तथा अनुसूचित जाति: 32,74,269 (12.82 प्रतिशत) है। राज्य का राजकीय पशु वन भैंसा (जंगली भैंसा), राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना (हिल मैना), राजकीय वृक्ष साल (सरई) है। राज्य का राजकीय गीत “अरपा पैरी के धार” है, जिसके रचयिता डॉ. नरेंद्र देव वर्मा हैं।
25 Years of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ नाम रखे जाने के पीछे का कारण
वर्तमान छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश राज्य से अलग होकर 01 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया। और तब के अर्थात सन 2000 में इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ रखे जाने के पीछे भी विशेष कारण रहा है, छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध भूमि होने के साथ-साथ अपने भीतरइतिहास की अनेक रोचक कहानियाँ भी समेटे हुए है।
ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में 36 गढ़ों या किलों के अस्तित्व के कारण इसका नाम “छत्तीसगढ़” पड़ा। रायपुर जिले के 1973 के गजेटियर के अनुसार, इन 36 किलों में से 18 किले शिवनाथ नदी के उत्तर और 18 किले उसके दक्षिण में स्थित थे। गढ़ का अर्थ होता है वह स्थान जहाँ किसी राजा का किला या प्रशासनिक केंद्र हो । रतनपुर और रायपुर इस क्षेत्र के दो मुख्य राज्य थे, जो कलचुरी वंश के शासन में थे।
25 Years of Chhattisgarh : इनके अधीन अनेक छोटे-छोटे गढ़ या रियासतें थीं, जिनकी कुल संख्या छत्तीस मानी जाती है। इसीलिए यह प्रदेश “छत्तीस गढ़ों की भूमि” के रूप में प्रसिद्ध हुआ। कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि “छत्तीसगढ़” शब्द संस्कृत के “छत्तिशगढ़ा” से निकला है, जिसका अर्थ है – अनेक गढ़ों वाला प्रदेश। कुछ मतों के अनुसार “छत्तीस” शब्द यहाँ प्रतीकात्मक है, जो अनेकता और समृद्धि का सूचक है।
अन्य मान्यता यह भी है कि “छत्तीसगढ़” शब्द वास्तव में “चेदिशगढ़” का अपभ्रंश है, क्योंकि यह क्षेत्र लंबे समय तक चेदि राजाओं के शासन में रहा था। प्राचीन काल में वर्तमान छत्तीसगढ़ का भूभाग दक्षिण कोसल, महाकांतार (बस्तर क्षेत्र) और दंडकारण्य जैसे ऐतिहासिक क्षेत्रों का हिस्सा रहा है। इस भूमि पर शरभपुरीय, पांडुवंश, नल, छिंदक नागवंश, फणीनागवंश, सोमवंश तथा कलचुरी वंश जैसे शक्तिशाली राजाओं ने शासन किया, जिनका उल्लेख अनेक पुरातात्विक साक्ष्यों में मिलता है। 25 Years of Chhattisgarh :
इसके बाद यहाँ मराठों और विभिन्न स्थानीय रियासतों का भी प्रभाव रहा, साथ ही अनेक जमींदारियों का गठन हुआ। ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ पर अंग्रेजों
का भी नियंत्रण स्थापित हुआ। स्वतंत्रता संग्राम में भी छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जहाँ 1857 की क्रांति में इस भूमि के वीरों ने अपने साहस और देशभक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
सुदूर अंचल और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास का सूर्योदय
25 Years of Chhattisgarh : जैसे की हम पूर्व अवगत हैं, मुख्य रूप से राज्य के दक्षिणी हिस्से में यानी कांकेर, बस्तर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा — यह सब क्षेत्र मुख्य रूप से नक्सलवाद से पीड़ित थे, जिसके चलते यहाँ जल, जीवन, निर्माण, विद्युतीकरण, शिक्षा आदि का विकास नहीं हो पा रहा था। अब भी इन क्षेत्रों में ऐसे कुछ गाँव हैं जहाँ अब तक बिजली, सड़क, चिकित्सा आदि नहीं पहुँची है।
लेकिन छ.ग. सरकार एवं जनता के दृढ़ निश्चय ने इन जिलों को विकसित करने में बहुत प्रयास किए हैं।जिसका परिणाम यह है कि अब धीरे-धीरे वहाँ विकास का चाँदना सा उजाला आ निकला है, और निरंतर नक्सलवाद घटता जा रहा है। वर्तमान विष्णु देव साय सरकार द्वारा एवं केंद्र द्वारा चलाए जा रहे नक्सल समस्या पर नियंत्रण के लिए आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति ने मुख्य भूमिका निभाई है।
जिसके चलते बहुत से माओवादी नक्सली मुख्यधारा में वापस लौटने लगे हैं। रोजगार, प्रशिक्षण और आवास सहायता कार्यक्रमों से राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति
स्थापित होने लगी है। वर्तमान में केंद्र द्वारा वहाँ राष्ट्रीय राजमार्ग हेतु प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हुए हैं, एवं अब वहाँ शिक्षा, चिकित्सा आदि के मामलों में भी सुधार आने लगा है। पर्यटक निरंतर जगदलपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा घूमने जा रहे हैं, जो कि क्षेत्र एवं राज्य — दोनों के विकास के लिए प्रेरणा और हर्ष का विषय है।
25 Years of Chhattisgarh : जिले के हस्तशिल्प एवं कलाओं को विश्व स्तर पर स्थान मिल रहा है। बस्तर खेल महोत्सव पूरे विश्व भर के खिलाड़ियों को मौका दे रहा है। बस्तर दशहरा देखने विश्व भर से पर्यटक आ रहे हैं। शोधकर्ता इन क्षेत्रों के वन, जंगल आदि पर रिसर्च भी कर रहे हैं, जिससे इन क्षेत्रों के विकास में वृद्धि आ रही है। इस तरह निरंतर बदलाव के संग इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास का सूर्योदय हुआ है।
छत्तीसगढ़ की धार्मिक विशेषता, लोक कला, संस्कृति एवं साहित्य
25 Years of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ अपनी संस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की लोकसंस्कृति में ग्रामीण जीवन की सादगी और लोकआस्था की गहराई झलकती है। छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य जैसे पंथी, राउत नाच, करमा, गौर, सुआ, सरहुल, जेन, परधौनी और ददरिया आदि इस प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर हैं, जो न केवल उत्सवों में बल्कि सामाजिक और धार्मिक अवसरों पर भी प्रस्तुत किए जाते हैं।
इन लोकनृत्यों में गीत, वाद्ययंत्र और भाव-भंगिमाओं के माध्यम से समाज की परंपराएँ, उत्सव और आध्यात्मिकता झलकती है। राज्य की आदिवासी संस्कृति भी अत्यंत समृद्ध है। यहाँ के मुरिया, गोंड, बाईगा, हल्बा, और उरांव समुदायों की अपनी विशिष्ट वेशभूषा, नृत्य, संगीत और त्योहार हैं। मड़ई मेला, छेरछेरा, पोला, तीजा, हरेली, नवाखाई, देवारी और बस्तर दशहरा जैसे उत्सव पूरे राज्य में धूमधाम से मनाए जाते हैं।
इनमें बस्तर दशहरा विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जो किसी राजा या देवी की पूजा के बजाय माता दंतेश्वरी देवी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है और 75 दिनों तक चलने वाला विश्व का सबसे लंबा पर्व माना जाता है।
छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों में भोरमदेव मंदिर (कवर्धा) जिसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” कहा जाता है, दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर, राजिम का राजीव लोचन मंदिर, रतनपुर का महामाया मंदिर, सिरपुर के आनंदप्रभु कुटीर विहार, लखनदेव मंदिर और स्वास्तिक विहार, चंद्रखुरी का माता कौशल्या धाम, बारसूर का बत्तीसा मंदिर, डीपाडीह के प्राचीन मंदिर समूह, और खल्लारी का जगन्नाथ मंदिर प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, बॉर्ना और मदकई की गुफाएँ जैसे प्राकृतिक स्थल भी राज्य के पर्यटन आकर्षण हैं।
छत्तीसगढ़ का साहित्य भी इसकी संस्कृति का अभिन्न अंग है। यहाँ के कवियों और लेखकों ने छत्तीसगढ़ी भाषा, लोककथा और लोकगीतों को समृद्ध किया है। पंडित सुन्दरलाल शर्मा, डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र, पंडित लोचन प्रसाद पांडे, हरिहर वैष्णव, सत्यनारायण पांडे, सोनपुरीन बाई मार्को, और आधुनिक काल में पद्मश्री डॉ. मोती लाल जांगड़े, सत्यनारायण पटेल, नरेन्द्र वर्मा, डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव, रामेश्वर वैष्णव आदि साहित्यकारों ने छत्तीसगढ़ी भाषा को गौरवान्वित किया।
25 Years of Chhattisgarh : राज्य के गठन के बाद छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया और छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की स्थापना की गई, जिससे इस भाषा के संवर्धन और मानकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
आज छत्तीसगढ़ी में अनेक पत्रिकाएँ, कवि सम्मेलन और लोककला उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनसे राज्य की सांस्कृतिक पहचान और भी सशक्त हुई है। समग्र रूप से छत्तीसगढ़ की संस्कृति लोकजीवन, श्रद्धा, संगीत, नृत्य, साहित्य और लोककला का सुंदर संगम है – जहाँ आधुनिकता के साथ परंपरा भी समान रूप से जीवित है।
छत्तीसगढ़ राज्य की अर्थव्यवस्था
25 Years of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि, खनन और उद्योग पर आधारित है। इसे भारत का “पावर हब” और “स्टील हब” कहा जाता है, क्योंकि यहाँ ऊर्जा और इस्पात उत्पादन में देश का बड़ा योगदान है। राज्य के गठन (2000) के बाद से यह देश के सबसे तेजी से विकसित होते राज्यों में से एक बन गया है। कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लगभग 80% ग्रामीण जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
प्रमुख फसलें — धान (जिसके कारण इसे “धान का कटोरा” कहा जाता है), गेहूँ, मक्का, तिलहन और दालें हैं। किसानों के हित में “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” और “धान बोनस योजना” जैसी योजनाएँ लागू की गई हैं। खनन छत्तीसगढ़ की आर्थिक शक्ति का प्रमुख स्तंभ है। राज्य में कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, चूना पत्थर, टिन, मैंगनीज़ जैसे खनिजों के विशाल भंडार हैं।
यहाँ कार्यरत प्रमुख कंपनियाँ हैं — SECL, NMDC, और NTPC। कोरबा का NTPC सुपर थर्मल पावर प्लांट और बैलाडीला की लौह अयस्क खदानें राज्य की ऊर्जा व औद्योगिक प्रगति के केंद्र हैं। भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant), जिसे सेल (SAIL) संचालित करता है, राज्य का औद्योगिक गौरव है और देश के इस्पात उत्पादन में अग्रणी है। रायगढ़, कोरबा, रायपुर और जगदलपुर जैसे शहरों में स्पंज आयरन, सीमेंट, एल्युमिनियम और ऊर्जा संयंत्र स्थापित हैं।
25 Years of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ अब विद्युत अधिशेष राज्य है और यहाँ से अन्य राज्यों को बिजली निर्यात की जाती है। साथ ही, सौर, जल और बायो ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों के विकास पर भी बल दिया जा रहा है। औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने हेतु राज्य ने “इंडस्ट्रियल पॉलिसी 2025” और “ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस” जैसे सुधार लागू किए हैं, जिनसे टाटा स्टील, अदानी, JSPL, वेदांता और BALCO जैसी कंपनियों ने निवेश बढ़ाया है।
छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था आज कृषि, खनन, ऊर्जा और उद्योग के संतुलित विकास का उदाहरण है, जो इसे भारत के उभरते औद्योगिक और आत्मनिर्भर राज्यों में अग्रणी बनाती है।
शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़
25 Years of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक संस्थाएं मौजूद हैं, जिनमें हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर, राष्ट्रीय
प्रौद्योगिकी संस्थान, रायपुर, गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, नवा रायपुर, अखिल
भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर, सिपेट रायपुर सहित अनेकों संस्थाएं विद्यार्थियों को रूचि के अनुरूप कैरियर निर्माण के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संपदा एवं पर्यटन
25 Years of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ देश का हृदय प्रदेश कहलाता है, जो अपनी जैव विविधता, घने वनों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। राज्य का लगभग 44% हिस्सा वनाच्छादित है, जहाँ अनेक दुर्लभ वन्यजीव और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। बस्तर क्षेत्र अपनी अनोखी पारिस्थितिकी और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहाँ स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, चित्रकोट जलप्रपात (भारत का नियाग्रा) और तीरथगढ़ जलप्रपात प्रमुख आकर्षण हैं।
इसके अलावा इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान (बीजापुर), गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान (कोरिया), रामगढ़ की पहाड़ियाँ (सरगुजा), रक्सगंडा व अमृतधारा जलप्रपात, मैनपाट, केशकाल घाटी और कुटूमसर गुफाएँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। भोरमदेव, चंद्रखुरी, रतनपुर और सिरपुर जैसे धार्मिक स्थल राज्य की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को समृद्ध करते हैं।
25 वर्ष के इस छत्तीसगढ़ के विकास में इन 4 लोगों का विशेष योगदान
25 Years of Chhattisgarh : वैसे तो किसी भी राज्य के प्रगति के लिए वहां की जनता विशेष रूप से जिम्मेदार होती है, परन्तु जैसे किसी बच्चे का लालन-पालन, देख-रेख की जिम्मेदारी उसके माता-पिता पर होता है, वैसे ही किसी भी देश या राज्य की जिम्मेदारी वहां के राज्य प्रमुख यानी वहां के प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,मंत्रीगण आदि पर होता है, की वो राज्य की प्रगति के लिए ध्यान दे और हर स्थिति में उसे सफलता के मार्ग में अग्रसर रखे।
तो जैसे हम सब जानते ही हैं छत्तीसगढ़ को अब तक 4 नेतृत्वकर्ताओं का सानिध्य मिला जिनके कार्यकाल में छत्तीसगढ़ ने प्रगति विकास और सफलता हेतु विषेश सफर तय किया। हालाँकि इस बिच बहुत से प्रिय-अप्रिय घटनाएं हुई फिर भी राज्य उन्नति की राह में अग्रसर रहा। आइये देखतें हैं इन चार नेताओं ने कब कब कैसे इस राज्य के विकास में योगदान दिया।
अजित जोगी का कार्यकाल :

25 Years of Chhattisgarh : जब 1 नवंबर 2000 को यह राज्य मध्यप्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया तब अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बने, उनके नेतृत्व में नवगठित राज्य की प्रशासनिक संरचना स्थापित की गई। उन्होंने आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों के विकास, उद्योग, शिक्षा, सिंचाई, बिजली, सड़क, जल आपूर्ति और स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया।
औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए निवेश प्रोत्साहन नीतियाँ अपनाईं, जिससे भिलाई, रायगढ़ और कोरबा जैसे क्षेत्रों में विकास हुआ। उनके कार्यकाल में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (बिलासपुर) की स्थापना जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज हुईं। हालाँकि, इस दौरान नक्सलवाद, प्रशासनिक भ्रष्टाचार और राजनीतिक टकराव जैसी चुनौतियाँ भी रहीं।
2003 के चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। राज्यपाल के रूप में दिव्य नंदन सहाय ने इस अवधि में कार्य किया। अजीत जोगी का शासन छत्तीसगढ़ के लिए एक संक्रमणकाल साबित हुआ, जिसने राज्य को नई पहचान और विकास की दिशा दी।
डॉ. रमन सिंह का कार्यकाल :
25 Years of Chhattisgarh : डॉ. रमन सिंह ने 7 दिसंबर 2003 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और लगातार तीन कार्यकालों (2003–2018) तक शासन किया। उनका शासनकाल राज्य के सबसे स्थिर, विकासोन्मुख और जनहितकारी काल के रूप में जाना जाता है। उन्होंने गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए।
उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को पारदर्शी बनाकर “सस्ता चावल योजना” और “मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना” शुरू की, जिससे लाखों गरीब परिवारों को सस्ती दरों पर अनाज मिलने लगा। शिक्षा के क्षेत्र में “सरस्वती साइकिल योजना”, “मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना” और “बालक/बालिका प्रोत्साहन योजना” शुरू की गईं। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए “मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना” और ‘108 संजीवनी एम्बुलेंस सेवा’ की शुरुआत की गई।

उद्योग और अवसंरचना के क्षेत्र में उन्होंने राज्य को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। खनिज आधारित उद्योगों, इस्पात संयंत्रों और पावर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा मिला। राज्य को विद्युत अधिशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। धान बोनस योजना, कृषक समृद्धि योजना और मुख्यमंत्री कृषि जोत विस्तार योजना से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
उनके कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की खेल और सांस्कृतिक पहचान भी सशक्त हुई। रायपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनवाया गया, जो भारत के सबसे सुंदर और बड़े स्टेडियमों में से एक है।
साथ ही, राज्य में नया सचिवालय भवन’, राजधानी नया रायपुर (अब अटल नगर) का विकास, एम्स रायपुर, आईआईटी भिलाई, आईआईएम रायपुर, और नेशनल इंस्टीट्यूटऑफ टेक्नोलॉजी (NIT रायपुर) जैसे संस्थानों की स्थापना ने राज्य को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान दी। अन्तः उनके कार्यकाल में एक ऐसा निर्माण भी हुआ जो अब तक अधूरा है एवं किसी फायदे का नहीं रहा, जो की रायपुर स्काई वाल्क का कार्य है और इसे उनके बाद की सरकार भी संवारने और आगेनिर्माण करने में असफल रही है।
25 Years of Chhattisgarh : पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सिरपुर महोत्सव, राज्योत्सव, और बस्तर दशहरा जैसे आयोजनों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। उनके कार्यकाल में ई-गवर्नेंस, डिजिटल सेवा केंद्र, और ग्राम पंचायत सशक्तिकरण जैसे कदमों ने प्रशासन को आम जनता के करीब लाया। हालाँकि, इस दौरान 2013 का झीरम घाटी नक्सली हमला, नक्सलवाद की बढ़ती घटनाएँ, और कुछ औद्योगिक भूमि विवादों ने शासन को चुनौती दी। फिर भी, डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ को विकास, स्थिरता और पहचान के नए युग में प्रवेश दिलाया।
इस अवधि में राज्यपालों के रूप में कृष्णमोहन सेठ, ई.एस.एल. नरसिम्हन, शेखर दत्त, राम नरेश यादव (कार्यवाहक) और बलराम दास टंडन ने कार्य किया। डॉ. रमन सिंह का कार्यकाल छत्तीसगढ़ को एक “मॉडल स्टेट” के रूप में स्थापित करने में मील का पत्थर साबित हुआ।
भूपेश बघेल का कार्यकाल :
25 Years of Chhattisgarh : भूपेश बघेल ने 17 दिसंबर 2018 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2023 तक शासन किया। उनका कार्यकाल किसान-केंद्रित, ग्रामीण विकास और जनहितकारी नीतियों के लिए जाना गया। उन्होंने “छत्तीसगढ़िया प्रथम, छत्तीसगढ़िया हित” की नीति अपनाते हुए स्थानीय संस्कृति, अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।

उन्होंने राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, कर्ज माफी योजना, और आधा बिजली बिल योजना लागू कीं, जिनसे किसानों और ग्रामीण वर्ग को सीधा लाभ मिला। नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी (NGGB) योजना से जल संरक्षण और ग्रामीण आजीविका को सशक्त किया गया।
25 Years of Chhattisgarh : स्वास्थ्य में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, और शिक्षा में स्वामी आत्मानंद अंग्रेज़ी माध्यम विद्यालय योजना जैसे कदम उठाए गए। सांस्कृतिक और पर्यटन विकास के लिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ, राजीव युवा मितान क्लब, और गरवा महोत्सव शुरू किए गए। बुनियादी ढांचे में अटल नगर का विस्तार, पुलिस मुख्यालय, और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का निर्माण हुआ।
उनके कार्यकाल में छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार और स्वच्छता व पोषण मिशन में सम्मान मिले। हालाँकि, नक्सली हमले, राजनीतिक टकराव, और भ्रष्टाचार के आरोपों जैसी चुनौतियाँ भी सामने आईं। इस अवधि में आनंदीबेन पटेल (कार्यवाहक) और बाद में अनुसुईया उइके राज्यपाल रहीं। भूपेश बघेल का शासन किसान सशक्तिकरण, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित हुआ।
वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णु देव साए का कार्यकाल :
25 Years of Chhattisgarh : मुख्यमंत्री विष्णु देव साए ने 13 दिसंबर 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे राज्य के पहले जनजातीय मुख्यमंत्री हैं। उनके नेतृत्व में शासन का मुख्य ध्यान श्रमिक कल्याण, सड़क विकास, औद्योगिक निवेश और जनजातीय क्षेत्रों के सर्वांगीण उत्थान पर केंद्रित रहा।उन्होंने “वन क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0” शुरू किया, जिससे उद्योग स्थापना की प्रक्रिया सरल हुई और लगभग ₹1.23 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले।

इसके साथ ही “स्टेट लॉजिस्टिक्स पॉलिसी 2025” के तहत राज्य को निर्यात और परिवहन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य प्रारंभ हुआ। सड़क क्षेत्र में ₹7,000 करोड़ की सड़क विकास योजना को केंद्र सरकार से स्वीकृति मिली, जिसके तहत कई जिलों में राष्ट्रीय और राज्य मार्गों का निर्माण प्रारंभ हुआ। केंद्रीय मंत्री नितिन
गडकरी के सहयोग से रायगढ़ में ₹330 करोड़ की सड़क, पुल और खेल परिसर परियोजनाओं की नींव रखी गई, जिससे राज्य के बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
श्रमिकों और ग्रामीण परिवारों के लिए सीधा लाभ हस्तांतरण (DBT) लागू किया गया, जिससे लाखों मजदूरों को सीधे आर्थिक सहायता मिली। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में डिजिटल सुविधाएँ और स्वरोजगार योजनाएँ भी शुरू की गईं। उनके कार्यकाल में नक्सल समस्या पर नियंत्रण के लिए एक संवेदनशील और पुनर्वास-आधारित नीति अपनाई गई।
25 Years of Chhattisgarh :कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिन्हें मुख्यधारा में लौटाने के लिए पुनर्वास योजनाएँ लागू की गईं, जैसे रोजगार, प्रशिक्षण और आवास सहायता कार्यक्रम। इससे राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित होने लगी। साथ ही, औद्योगिक निवेश में भी बड़ी वृद्धि हुई — देश-विदेश के कई निवेशकों ने छत्तीसगढ़ में निवेश करने में रुचि दिखाई, विशेष रूप से इस्पात, ऊर्जा, औषधि और कृषि-आधारित उद्योगों में।
इस दौरान राज्यपाल के रूप में इस अवधि में विश्वभूषण हरिचंदन और बाद में रामेन डेका ने कार्य किया। कुल मिलाकर, विष्णु देव साई का कार्यकाल विकास, निवेश, आधारभूत संरचना, नक्सल शांति प्रक्रिया और जनकल्याण की दिशा में एक संतुलित और प्रगतिशील काल साबित हुआ, जिसने छत्तीसगढ़ को स्थिरता और प्रगति की नई राह पर अग्रसर किया।
छत्तीसगढ़ सतत निर्माण, प्रगति और सफलता की राह पर अग्रसर है
25 Years of Chhattisgarh : इस तरह से छत्तीसगढ़ सतत निर्माण, प्रगति और सफलता की राह पर अग्रसर है, राज्य की जनता, राज्य के अधिकारी गण, राज्य की न्यायपालिका, सरकार, कलाकार, खिलाड़ी, साहित्यकार, अभिनेता आदि सभी राज्य को उच्चतम स्तर पर स्थापित करने हेतु पूर्ण तौर से प्रयासरत है।
देखा जा रहा है की हर क्षेत्र में विधिवत कार्य प्रगति पर है, चाहे पर्यटन में जगदलपुर, बस्तर, जशपुर की बात करें, या फिर अर्थव्यवस्था में नवा रायपुर एवं विभिन्न स्थानों पर निरंतर स्थापित होते नव निर्मित संस्था आदि की बात करें या फिर खेल को प्रोत्साहन देने बस्तर ओलम्पिक आदि की बात करें। राज्य निरंतर हर छेत्र में प्रगति कर रहा है एवं उम्मीद है हमें की यहआगे पुरे विश्व में श्रेष्ट रूप से और ज़्यादा प्रचलित होगा।
लेख : आरव शुक्ला ( युवा साहित्यकार )
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