साय सरकार के दो साल : सुशासन, सेवा और पारदर्शिता की मिसाल बनी साय सरकार

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रायपुर; 12 दिसंबर; by कुलदीप शुक्ला SAI government 2 years : छत्तीसगढ़ वासियों के लिए  13 दिसंबर 2023 का दिन ऐतिहासिक खुशियों की सौगात लेकर आया था, जब सरल, सहज और सौम्य व्यक्तित्व के धनी विष्णुदेव साय ने राज्य के नये मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण के साथ ही उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि जनता की आकांक्षाएँ और राज्य की प्रगति उनकी प्राथमिकता होगी। बीतते समय के साथ यह संदेश सिर्फ घोषणा नहीं रहा, बल्कि शासन के हर निर्णय और नीति के केंद्र में दिखाई दिया।

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सुशासन की परिभाषा न्याय, सेवा और पारदर्शिता

SAI government 2 years : 13 दिसंबर  को सुशासन के दो वर्ष पूरे होने के साथ एक बात स्पष्ट हो चुकी है. साय सरकार ने सत्ता नहीं, सेवा के भाव से शासन किया है। भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस नीति; प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता; त्वरित निर्णय और समयबद्ध क्रियान्वयन ; जनता से संवाद और ग्रामीण स्तर पर समस्याओं का समाधान, इसके चलते न केवल शासन की विश्वसनीयता बढ़ी है, बल्कि गांवों और वनांचलों तक सरकारी योजनाओं का असर दिखाई देने लगा है।

इस अवधि में प्रदेश की सरकार ने एक नई कार्य संस्कृति स्थापित की है। दो साल के दौरान में ही सरकार ने मोदी की गारंटी के रूप में जनता से किए गए अधिकांश वादों को पूरा कर दिखाया है। तेज़ निर्णय क्षमता, स्पष्ट लक्ष्य, पारदर्शी कार्यशैली और जनहित को प्राथमिकता  यही चार सूत्र राज्य की प्रगति के इंजन बने हैं। परिणामस्वरूप शासन की पहचान सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रही, बल्कि कामकाजी सरकार के रूप में उभरकर सामने आई है।

निर्णयों के केंद्र में गांव, गरीब और किसान और जनता

SAI government 2 years : साय सरकार ने विकास की दिशा तय करते समय सबसे पहले समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को प्राथमिकता दी। इसी सोच के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित ऐतिहासिक फैसले लिए गए।

किसानों को फसल चक्र के अनुरूप सहायता; धान खरीदी और वनोपज संग्रह को बढ़ावा;;ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को आजीविका, स्वरोजगार और कौशल विकास में अवसर; बुनियादी सुविधाएँ  सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य  तेजी से गाँवों तक पहुँचाई गई। इन कदमों ने विकास की रफ्तार को चौतरफा मोड़ दिया है, और शासन की पहुंच उन इलाकों तक बढ़ी है जहाँ पहले विकास की कल्पना भी मुश्किल थी।

दो वर्षों में जनकल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन की रफ्तार छत्तीसगढ़ के विकास मानचित्र में साफ़ दिखाई देती है। इन फैसलों से जनता पर सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है। कृषि आय में वृद्धि के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और प्रति व्यक्ति आय में तेज़ सुधार की संभावना है।

साय सरकार के दो वर्षों की उपलब्धियाँ यह स्पष्ट करती हैं कि जनकल्याण और सुशासन महज़ नारे नहीं, बल्कि जमीन पर लागू की गई प्राथमिकताएँ हैं। योजनाओं के लाभ सीधे पात्र लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिससे:ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई; महिलाओं में आर्थिक स्वावलंबन बढ़ा;किसानों की आय में वृद्धि हुई; गरीब परिवारों के जीवनस्तर में व्यापक सुधार आया है।  इसी बदलाव ने छत्तीसगढ़ में सरकार की कामकाजी और संवेदनशील नेतृत्व वाली छवि स्थापित की है। दो वर्षों में विष्णुदेव साय सरकार ने यह साबित किया है कि यदि नीयत स्पष्ट हो और प्रशासन जवाबदेह हो तो वादे सिर्फ घोषणाएँ नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को बदल देने वाली वास्तविकताएँ बन जाते हैं। कामकाजी सरकार के दो वर्ष अब कागज़ों पर नहीं, बल्कि घर-घर महसूस की जा रही है, और इसी विश्वास ने छत्तीसगढ़ को तेज़ विकास की दिशा में अग्रसर कर दिया है। 

प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से गरीबों के आवास के लिए ठोस पहल की गई। उज्ज्वला योजना के माध्यम से माताओं-बहनों को धुएं से मुक्ति मिली। सौभाग्य योजना के माध्यम से उस अंतिम गांव तक भी बिजली पहुंची, जहां बरसों से लोग उजाले की बाट जोह रहे थे।

महिलाओं को ‘महतारी वंदन योजना‘ के अंतर्गत 12 हजार रुपए वार्षिक दिये जाएंगे। महिला शक्ति को मजबूत करने यह सबसे बड़ी पहल है। महिलाओं की छोटी-छोटी खुशियों को लेकर यह पहल काफी महत्वपूर्ण है। बीपीएल परिवार में बालिकाओं के जन्म पर रानी दुर्गावती योजना के अंतर्गत डेढ़ लाख रुपए का आश्वासन प्रमाणपत्र दिया जाएगा। कॉलेज जाने वाली छात्राओं के लिए मासिक ट्रेवल एलाउंस दिया जाएगा।

धान के कटोरे में किसानों के लिए भी मोदी का गारंटी है। 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी के साथ ही 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर धान की खरीदी और भुगतान की सुविधा भी एकमुश्त की जाएगी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि मजदूर कल्याण योजना के अंतर्गत 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के लिए रखी गई है।

वनांचल और वनोपज संग्राहकों की आय में बढ़ोतरी

SAI government 2 years : छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों की अर्थव्यवस्था वनोपज पर आधारित है। ऐसे में सरकार ने उनके हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। तेंदूपत्ता संग्राहकों को अतिरिक्त संग्रहण पर प्रोत्साहन बोनस;वनोपज संग्राहकों की सुरक्षा के लिए चरण पादुका योजनाओं ने वनवासियों के जीवन में आर्थिक आत्मनिर्भरता के नए आयाम जोड़े हैं।

बस्तर में 54 सिंचाई योजनाओं का निर्माण

SAI government 2 years : छत्तीसगढ़ राज्य को उदित हुए 25 वर्ष की अवधि में बस्तर जिले के अंतर्गत किसानों को सिंचाई संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए सकारात्मक प्रयास किया गया है। जिसके फलस्वरूप अब तक कुल 92 सिंचाई योजनाओं के माध्यम से 32 हजार 656 हेक्टेयर सिंचित रकबे का सृजन किया गया है। पूर्व में बस्तर जिले में 38 लघु सिंचाई योजनाओं से 7521 हेक्टेयर खरीफ एवं 1386 हेक्टेयर रबी कुल 8907 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई हो रही थी।

किसानों को खेती-किसानी के लिए ज्यादा से ज्यादा सिंचाई साधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जिले में 54 सिंचाई योजनाओं का निर्माण कर 23 हजार 749 हेक्टेयर सिंचित रकबा का सृजन किया गया है। जिसमें 18 हजार 129 हेक्टेयर खरीफ और 5620 हेक्टेयर रबी फसल हेतु सिंचाई क्षेत्र विकसित किया गया है। इन सभी सिंचाई संसाधनों के माध्यम से क्षेत्र के किसानों द्वारा द्विफसलीय खेती-किसानी को बढ़ावा देकर आय संवृद्धि किया जा रहा है।

सियान गुड़ीजैसे सामाजिक-आध्यात्मिक केंद्रों का विस्तार

SAI government 2 years : छत्तीसगढ़ में सरकार ने वरिष्ठजनों के सम्मान को शासन प्रणाली में प्रमुख स्थान दिया है। उनका मानना है “माता-पिता की पूजा ही ईश्वर की पूजा है।” इसी सोच के साथ राज्य में ऐसे प्रकल्पों का विस्तार हो रहा है जो बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाते हैं। एक अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और दुर्ग में पीपीपी मॉडल के तहत आधुनिक वृद्धाश्रम स्थापित करने तथा असहाय बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के लिए रायपुर में उपकरण सर्विस सेंटर खोलने की घोषणा की। इसी के साथ राज्य में “सियान गुड़ी” जैसे सामाजिक-आध्यात्मिक केंद्रों का विस्तार बुजुर्गों को मानसिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सहारा प्रदान कर रहा है।

बड़े नक्सली लीडरों के आत्मसमर्पण और मारे जाने के बाद बस्तर विकास की राह पर

SAI government 2 years : छत्तीसगढ़ लंबे समय तक नक्सल गतिविधियों से प्रभावित रहा है। विशेष रूप से बस्तर संभाग देश में वामपंथी उग्रवाद का सबसे अधिक प्रभावित इलाका माना जाता था। परंतु पिछले कुछ वर्षों में परिस्थितियाँ तेजी से बदली हैं। नक्सल आंदोलन की कमर तोड़ने के लिए सरकार, सुरक्षा बलों और स्थानीय जनभागीदारी के संयुक्त प्रयास परिणाम दे रहे हैं। बड़े नक्सली लीडरों के आत्मसमर्पण, मारे जाने व नक्सली नेटवर्क कमजोर होने के बाद आज बस्तर नई दिशा और नए दौर में कदम रख रहा है

नक्सल कमांडरों के समर्पण / ढहते नेटवर्क का प्रभाव

SAI government 2 years : सरकारी नीतियों, सुरक्षा रणनीतियों और पुनर्वास योजनाओं के कारण दर्जनों बड़े नक्सली नेताओं द्वारा आत्मसमर्पण किया गया है। कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा और कई  नक्सली लीडर सशस्त्र मुठभेड़ों में मारे भी गए, जिससे पूरे संगठन की संरचना पर भारी असर पड़ा है। इन घटनाओं के बाद नक्सली गतिविधियों में कमी दर्ज की गई है और ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा की भावना बढ़ी है। अब वे गांव जो दशकों तक नक्सल संगठनों की पकड़ में थे, खुलकर प्रशासन के संपर्क में आ रहे हैं।

जन विश्वास और बेहतर प्रशासन का विस्तार

SAI government 2 years : पहले सरकारी योजनाएँ बस्तर के कई इलाकों तक पहुंच ही नहीं पाती थीं। लेकिन अब जन-विश्वास अभियान, विकास यात्राएँ, पंचायत स्तर पर संवाद और स्थानीय युवाओं की भागीदारी से शासन-प्रशासन और जनता के बीच विश्वास बढ़ा है। पुलिस कैंप और प्रशासनिक कैंपों की स्थापना;सुरक्षा बलों और ग्रामीणों के बीच भरोसा बढ़ा है। इन प्रयासों ने बस्तर को मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है।

बस्तर में विकास की रफ्तार सड़क से स्कूल तक

SAI government 2 years : नक्सल प्रभाव घटने के बाद अब बस्तर में विकास की गति स्पष्ट दिखाई दे रही है। पहले असंभव माने जाने वाले आंतरिक सड़कें अब बन रही हैं । शिक्षा आवासीय विद्यालय, पोर्टा केबिन स्कूल, स्पोर्ट्स और टेक्नोलॉजी शिक्षा। स्वास्थ्य  नए अस्पताल, मोबाइल मेडिकल यूनिट, हेल्थ वेलनेस सेंटर । कृषि व आजीविका वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था, स्वसहायता समूह, टूरिज्म आधारित रोजगार, बिजली और इंटरनेट दूरस्थ गांवों में बिजली कनेक्शन और 4G/5G नेटवर्क; वे योजनाएँ जो वर्षों तक अटकी रहीं, अब एक-एक करके पूरी हो रही हैं। बस्तर की नदियाँ, जंगल और संस्कृति अब निवेश, पर्यटन और स्थानीय उद्योगों के अवसर पैदा कर रही हैं।

युवा शक्ति ही बदलाव की सबसे बड़ी कड़ी   

SAI government 2 years : नक्सल हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित युवा ही अब बदलाव की सबसे बड़ी ताकत बन रहे हैं। खेल, तकनीक, स्वरोजगार, कौशल विकास प्रशिक्षण और सरकारी भर्तियों से युवाओं में नया उत्साह है।   तीरंदाजी व हॉकी जैसी खेलों में बस्तर के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर चमक रहे हैं। युवाओं में खेती, वनोपज व खाद्य प्रसंस्करण में रूचि बढ़ी है। सुरक्षा बलों में भर्ती होकर कई युवा समाज के विकास में योगदान दे रहे हैं।

SAI government 2 years : आखिरी लक्ष्य पूरी तरह नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़

हालाँकि कुछ सीमित क्षेत्रों में अभी भी नक्सली गतिविधियाँ मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रभाव पहले की तुलना में बहुत कम हो चुका है। सुरक्षा एजेंसियाँ और प्रशासन निरंतर अभियान चला रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जनता अब हिंसा की जगह विकास को विकल्प के रूप में चुन रही है।

छत्तीसगढ़ नक्सलवाद की परछाई से निकलकर शांति और प्रगति की नई सुबह की ओर बढ़ रहा है। बस्तर, जिसने कभी गोलियों की आवाज सुनी, आज विकास की आवाज सुन रहा है। सुरक्षा, जनभागीदारी और अवसर यही तीन स्तंभ छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सल मुक्त राज्य बनाने की राह पर आगे बढ़ा रहे हैं।

SAI government 2 years : साय मॉडल ऑफ गवर्नेंस की राष्ट्र में चर्चाओं

पारदर्शी कामकाज, संवेदनशील नेतृत्व और परिणाम-केन्द्रित प्रशासन ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है। नई पहलों और कामकाज के रफ्तार से पूरे देश में “विष्णुदेव साय के सुशासन मॉडल” की चर्चा होने लगी है जहाँ विकास और सामाजिक न्याय एक साथ चलते हैं।

SAI government 2 years : अगला लक्ष्य विकसित और समृद्ध छत्तीसगढ़

दो वर्षों की यात्रा में विष्णुदेव साय की सरकार ने यह सिद्ध किया है कि इरादा मजबूत हो, प्रबंधन पारदर्शी हो और निर्णय जनता के हित में हों, तो विकास सिर्फ वादा नहीं, वास्तविकता बन जाता है। छत्तीसगढ़ आज सुशासन, स्थिरता और जनकल्याण की नई पहचान के साथ आगे बढ़ रहा है । 13 दिसंबर 2023 को शुरू हुई यह यात्रा  हमने बनाया है, हम ही सवारें गे 2025 में एक नए आत्मविश्वास और नई दिशा के साथ आगे बढ़ चुकी है;जनता की खुशहाली ही सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है।


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