संपादकीय by कांतिलाल मांडोत । World Animal Day : देश मे पशुजगत की दुर्दशा को देखकर मन विचलित हो जाता है। गोधन की दुर्दशा देखकर ह्दय कंपित हो उठता है।ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में पशुओं के प्रति प्रेम और सहानुभूति अभूतपूर्व थी।पशुओ के सरंक्षण के लिए हमे प्रयास करना होगा। आज हमारे देश मे पशुओ की दुर्दशा हो रही है। उसे नकारा नही जा सकता है।
पशु हिंसा औऱ दुर्व्यवहार गम्भीर अपराध
World Animal Day : पशुओ का अनिवार्य रूप से सरंक्षण होना चाहिए। सामूहिक रूप से हिंसा उन्मूलन के प्रयास तेज होने चाहिए। उससे अहिंसात्मक मूल्यों की प्राणप्रतिष्ठा हो सकती है। पशु दुर्व्यवहार एक तरह से जान बूझकर करने वाला कार्य जैसे मारना ,जलाना,भोजन पानी,आश्रय,देखभाल में कमी जैसी उपेक्षा से अबोल पशुओं को पीड़ा होती है। पशु बोलकर तो शिकायत नही कर सकते है। जानवरो को शारीरिक और भावनात्मक रूप से क्षति पहुंचाई जाती है। पशु हिंसा औऱ दुर्व्यवहार गम्भीर अपराध है।
बेजुबान पशुओ पर आए दिन क्रूरता की घटनाएं
World Animal Day : बेजुबान पशुओ पर आए दिन क्रूरता की घटनाएं देखने को मिलती है। आज इंसान कितना क्रूर हो चुका है।बेजुबान पशुओ पर कुलाड़ी से क्षति पहुँचा कर भी उसके मन मे कोई दया के भाव पैदा नही होता है।यहां तक पशु खेत मे घुसने पर पशुओ के पैर तक काट दिये जाते है।इससे बड़ा पाप और क्या हो सकता है?सामूहिक रूप से हिंसा के उन्मूलन के लिए प्रयास करने होंगे। देश मे बाघ की संख्या करीब 3346 के बीच है। पूरे विश्व मे भारत मे बाघ की संख्या सबसे ज्यादा है।
गो तस्करी और कत्ल खानों में गाय काटने की घटना
World Animal Day : इन पशुओ के साथ कोई दुर्व्यवहार नही करते है।यह टाइगर है। खुले में इनको रख नही सकते है। जो खुले में आवारा घूमते है,उन पशुओ के साथ उपेक्षा की जाती है। भारत मे लगभग 307.5मिलिनीयम गाय की संख्या है। दूसरे नम्बर पर चीन है। भारत मे गाय को जितना सम्मान दिया जाता है। उसका दुनिया मे कही देश मे नही है।देश मे पशुक्रूरता के कानून बने हुए है। लेकिन चोरी छुपे गो तस्करी और कत्ल खानों में गाय काटने की घटना सामने आती है।
गाय पर अत्याचार किया जाता है। कई बार तो कसाई वीडियो बनाकर कर गाय के साथ क्रूरता करते है। यह नही होना चाहिए। यह पाप की श्रेणी में आता है। पशुओ पर अत्याचार करना घृणित कार्य है। देश में भैसों की संख्या 11 करोड़ तक पहुंच गई है।पशुपालन और डेयरी उधोग से 12 करोड़ लोग जुड़े है। पशुपालन और डेयरी उधोग से रोजगार उपलब्ध हो रहा है। लेकिन पशुजगत के साथ दुर्व्यवहार और उपेक्षा करना महापाप है।
World Animal Day : पशुओ के साथ उपेक्षा और दुर्व्यवहार यह पेचीदा मामला
इससे छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए। कुते,बिल्ली या कोई अन्य जानवर के साथ भी हमे दुर्व्यवहार नही करना चाहिए। जैन फिलोसोफी में तो चींटी मारना भी महापाप बताया गया है। पशुओ के प्रति प्रेम सरंक्षण की भावना हर एक व्यक्ति में होनी चाहिए। आज गोधन की देश मे दुर्दशा हो रही है। सड़को पर आवारा घूमते पशुओ की देखभाल मालिक को अपनी जवाबदारी सम्भालते हुए करनी होगी। पशुओ के साथ उपेक्षा और दुर्व्यवहार यह पेचीदा मामला है।
इसके लिए कूटनीति की जरुरत है।यह अक्सर देखा जाता है कि घर मे पालतुं जानवर की समय पर देखभाल नही की जाती है।समाज मे यह अक्सर देखने मे आता है कि घर मे पालतू कुत्ते की किसी ने शिकायत की, तो मालिक जानवरो पर हमला करना और अबोल प्राणियों के साथ दुर्व्यवहार की घटना बनती है।यह स्वाभाविक रूप से गलत है। तीन दशकों से भी ज़्यादा समय से, एनिमल लीगल डिफेंस फ़ंड (ALDF) कानूनी व्यवस्था के ज़रिए जानवरों के जीवन की रक्षा और उनके हितों को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
World Animal Day : पशु कानून के उभरते क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति
पशु कानून के उभरते क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति होने के अलावा, एएलडीएफ ने कई ऐतिहासिक फ़ैसले हासिल किए हैं जिनसे यह पुष्टि होती है कि जानवरों के बुनियादी अधिकार हैं, जिनमें उपेक्षा और क्रूर प्रयोगों से मुक्ति भी शामिल है। एएलडीएफ के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों भी हो रहे है।पशुओ से किसानों को प्रत्यक्ष फायदा होता है।दूध, मांस और अंडे का उत्पादन जो आय का स्त्रोत है।किसानों को कृषि और जैविक सम्बंधित लाभ होता है।
World Animal Day : पर्यावरण के लिए लाभकारी; आर्थिक विकास में योगदान
पर्यावरण के लिए लाभकारी है। देश के लिए आर्थिक विकास में योगदान देता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है। 1960 में पशुक्रूरता अधिनियम लागू हुआ था। जानवरो को अनावश्यक पीड़ा या कष्ट पंहुचाने से और उनके प्रति हो रही क्रूरता को रोकने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। किसी पशु को पीटना,मारना, अंग-भंग करना आदि अपराधों को परिभाषित करता है। हमे ज्ञात हो कि पशुजगत पर अत्याचार करना क़ानूनन अपराध तो है ही,लेकिन यह शाश्त्रो में महापाप बताया गया है।

अबोल पशुओं पर जुल्म करके हम अपने आप को और अपने परिवार को सुखी नही देख सकते है। पशु क्रूरता बच्चो के खिलाफ हिंसा का प्रवेश द्वार बन जाती है। पशु के खिलाफ क्रूरता,दुर्व्यवहार और या उपेक्षा का कोई कृत्य किया जाता है तो समाज मे क्रूरता जांच के किसी भी अधिकारी को सूचित करें। पशुओ पर अत्यदिक हिंसक होना, वस्तुएं फेंकना या शारिरिक रूप से प्रताड़ित करना पशुजगत के प्रति नफरत के भाव पैदा करना,यह सभी पशु क्रूरता है।
World Animal Day : आज के परिदृश्य में विदेश में रहने वाले लोग पशुजगत से कितना प्रेम करते है। लेकिन हमारे ही अहिंसा परमो धर्म पर आस्था रखने वाले भारत मे पशुओ के प्रति दुर्व्यवहार करना एक प्रकार की हैसियत बनती जा रही है। विश्व पशु दिवस पर हमें संकल्प करना होगा कि पशुओ की उपेक्षा नही कर सामाजिक रूप से सरंक्षण करने की प्रतिज्ञा करनी है। पशुओ की दुर्दशा देखकर हमारा मन पसीज जाता है।यह समाज के लिए अन्यायपूर्ण है। हम सब को संकल्प लेना है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

